जया बच्चन, जो भारतीय सिनेमा की सबसे सम्मानित अभिनेत्रियों में से एक हैं और एक प्यार करने वाली माँ हैं, उन्हें पेरेंटिंग के लिए अपने सीधे-सादे लेकिन बहुत प्यार भरे तरीके के लिए जाना जाता है। चाहे वह उनका अनुशासित स्वभाव हो, विनम्रता पर ज़ोर हो, या पारिवारिक मूल्यों के प्रति उनकी मज़बूत भावना हो, उन्होंने हमेशा अपने बच्चों, अभिषेक और श्वेता बच्चन में समय से परे सिद्धांतों को डाला है। उनकी पेरेंटिंग स्टाइल में अनुशासन और स्नेह का मेल है, जिससे हर वह माता-पिता जुड़ाव महसूस कर सकते हैं जो संतुलित और ज़मीन से जुड़े बच्चे पालना चाहते हैं। यहाँ जया बच्चन से पेरेंटिंग के छह कीमती सबक दिए गए हैं जो हम सीख सकते हैं।
अनुशासन चरित्र की नींव है
जया बच्चन ने हमेशा अनुशासन के महत्व के बारे में खुलकर बात की है, इसे किसी रोक-टोक के रूप में नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान और जवाबदेही की नींव के रूप में। उनका मानना है कि बच्चों को कम उम्र में ही समय मैनेज करना, दूसरों का सम्मान करना और अपने कामों की ज़िम्मेदारी लेना सीखना चाहिए। इसी अनुशासन ने अभिषेक और श्वेता को लाइमलाइट में बड़े होने के बावजूद अच्छे व्यवहार वाले, शांत स्वभाव के इंसान बनने में मदद की। उनका तरीका दिखाता है कि प्यार के साथ पक्की सीमाएँ तय करने से आत्मविश्वासी और ज़मीन से जुड़े वयस्क बनते हैं।
आप कितने भी सफल क्यों न हो जाएं, अपने पारिवारिक मूल्यों को मज़बूत रखें
ऐसी दुनिया में जो अक्सर शोहरत और सफलता को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाती है, जया बच्चन ने हमेशा अपने बच्चों को अपनी जड़ों से जुड़े रहने की याद दिलाई है। उन्होंने भौतिक उपलब्धियों से ज़्यादा विनम्रता, बड़ों के प्रति सम्मान और पारिवारिक रिश्तों को बनाए रखने के महत्व पर ज़ोर दिया है। भारत के सबसे मशहूर फिल्मी परिवारों में से एक होने के बावजूद, बच्चन परिवार एक-दूसरे से जुड़ा रहा है, जो जया के लगातार मार्गदर्शन का नतीजा है। माता-पिता के लिए उनका संदेश साफ़ है, कोई भी सफलता आपके पारिवारिक मूल्यों की ताकत से बड़ी नहीं है।
सिर्फ़ बातों से नहीं, बल्कि उदाहरण से नेतृत्व करें
